Unsplash कदै कदै मेरी बात ना होती कदै कदै मुलाक़ात ना होती दिल में रवै तू हरदम मेरे पर कदै कदै तू साथ नहीं होती मै पर्वत सा अडिग हो गया हिलता नहीं अब मिलता नहीं तू हो गई उस बादल जेसी जिससे अब बरसात नहीं होती ©Rahul Panghal #Book poetry on love