इश्क-ए-रहा मैं मुनासिब ही नहीं दफ़ा-ए-इश्क यादों सी घुली है दिल में तो ये फ़रियाद रहने दो..! क्या इश्क-ए-किताब के पन्नों पर वो हो तो ये इश्क हो ये लम्हें जन्नत से रहे होंगे। तो कुछ लम्हों को उसे भी सुनने दो..! जानो इश्क़ उसके भी दिल में उतरने दो। जनाब जनाब। कॉलेब चैलेंज। कुछ ऐसा। की कलम भी बोल पड़ी। किन किन शब्दों को बदलोगे? किन किन शब्दों को लिखोगे? कितनी दफा मुझको? चलाओगे? Shubham Hirode #bestyqhindiquotes आइये कोलैब करते है 😎 " मुझे कुबूल नही दूसरा इश्क़ "ए राही", मेरे धड़कनों में उसकी यादों को रहने दो..!