उन नज्मों को अब भी गुनगुनाते हैं हम.... जो तुमने लिखीं हमारे लिए दिल के किसी कोने मे, महफ़ूज़ रखते हैं हम उन्हें.... दर्द-ए-दिल हमने चाहे कितने भी सहे Read in caption उन नज्मों को अब भी गुनगुनाते हैं हम.... जो तुमने लिखीं हमारे लिए दिल के किसी कोने मे, महफ़ूज़ रखते हैं हम उन्हें.... दर्द-ए-दिल हमने चाहे कितने भी सहे वो प्यार भरी बातें याद हैं हमें अब भी.... उन बोलो के लिए हम हैं तरस रहे आज भी जाते हैं हम उन रास्तों पर....