भर गया तेरा मन चल पड़े हम सफर छोड़ जाना कहीं हमको आया नहीं आशिकी बह गई ख्वाब भी बह गए टूट कर अब वो तारा आया नहीं धुआं ही धुआं था चारो तरफ लगी आग बुझाने वो आई नहीं दोस्ती ना रही प्यार की सड़क पर रातों को कंदीले जलाई नहीं सो गया मैं अकेला एक कमरे में फिर चांद की चांदनी मुझको भाई नहीं भर गया ....…................ ©विकास मैनपुरिया भर गया