वस्तुतः प्रेम मन से वाणी से स्वभाव से होता है.. देह और बनावट सिर्फ़ शारीरिक आकर्षण के सिवा कुछ नहीं हैं.. ये सिर्फ़ वासनात्मक दृष्टिकोण हो सकता है.. कितना उचित है कवि का लिखना नायिका का गोरी, सुंदर, कामाक्षी, कोमलांगी तो क्या नायिका सांवली, थोड़ी मोटी या थोड़े छोटे आंखों वाली हुई तो प्रेम का पात्र नहीं?