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किस हक़ से मैं तुम्हारा इस्तकबाल करू जो आए हो हमारे

किस हक़ से मैं तुम्हारा इस्तकबाल करू
जो आए हो हमारे गरीबखाने पे,
उम्मीद-ए-डोर की बफा तुमने कब की खिंच रखी है
जो अब तुमसे अपने दिल में ठहर ने की फरयाद करू। फ़रयाद

किस हक़ से मैं तुम्हारा इस्तकबाल करू
जो आए हो हमारे गरीबखाने पे,
उम्मीद-ए-डोर की बफा तुमने कब की खिंच रखी है
जो अब तुमसे अपने दिल में ठहर ने की फरयाद करू।

#khnazim
किस हक़ से मैं तुम्हारा इस्तकबाल करू
जो आए हो हमारे गरीबखाने पे,
उम्मीद-ए-डोर की बफा तुमने कब की खिंच रखी है
जो अब तुमसे अपने दिल में ठहर ने की फरयाद करू। फ़रयाद

किस हक़ से मैं तुम्हारा इस्तकबाल करू
जो आए हो हमारे गरीबखाने पे,
उम्मीद-ए-डोर की बफा तुमने कब की खिंच रखी है
जो अब तुमसे अपने दिल में ठहर ने की फरयाद करू।

#khnazim
khnazim8530

Kh_Nazim

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