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*आज सलामत रहे तो* *कल की शहर देखेंगे* *आज पहरे मे

*आज सलामत रहे तो* 
*कल की शहर देखेंगे*
*आज पहरे मे रहे तो*
 *कल का पहर देखेंगें ।*

*सासों के चलने के लिए*
 *कदमों का रुकना ज़रूरी है*
*घरों मेँ बंद रहना दोस्तों*
 *हालात की मजबूरी है ।*

*अब भी न संभले*
 *तो बहुत पछताएंगे*
*सूखे पत्तों की तरह हालात*
 *की आंधी मे बिखर जाएंगे ।*

*यह जंग मेरी या तेरी नहीं*
 *हम सब की है,*
*इस की जीत या हार भी*
 *हम सब की है ।*

*अपने लिए नहीं*
 *अपनों के लिए जीना है*
*यह जुदाई का ज़हर* 
*दोस्तो घूंट घूंट पीना है* ।

*आज महफूज़ रहे तो कल*
 *मिल के खिलखिलाएँगे,*
*गले भी मिलेगे और*
 *हाथ भी मिलाएंगे!!*
         *जनहित में जारी*


आपका अपना शुभ चिंतक
पंकज प्रेमी

©Pankaj Premi
  #mask
pankajkumar1420

Pankaj Premi

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