बना था किला जो परसों, वह कल ही तो "ढहाया" गया हैI रहता था जहां एक मसीहा, सुना है वहां ! अब "चिड़ियाघर" बनाया गया है I इंसान का अहंकार ! जबरदस्त किरदार निभाता गया I बुजुर्गों की बुलंदी से आहत होकर, पुश्तैनी विरासत को गिराता गयाI कह ना सका कभी दो लब्ज अदा से, बस माहौल अमन का बिगाड़ता गया I जहां भी पड़े उसके कदम, वहां की नजाकत उजाड़ता गया I ©PRATAP CHAUHAN #virasat #rayofhope