बार बार कहना पड़ता है कहना क्या,कभी कभी मारना पड़ता है दर्द तो होता है पर सहना पड़ता है प्रकृति हूँ मैं मेरे भी कुछ नियम कानून मर्यादाएं हैं तुम्हें उपभोग करने के लिए क्या कह दिया तुम तो दोहन पर उतर आए हर कहीं सड़क बना ली हर कहीं पानी के रस्ते बदल दिये कुआ बावड़ी झीलें तालाब के तालाब निगल गए तुम तो यार अमानत में ख़यानत कर गए प्रदूषण तुम्हारे लिए केवल समाचार है मेरे लिए तो आफत है फिर बीमार पड़ गाली किसको खानी है और याद आती गाँव की हवा और नानी है बिना सोचे समझे जो आगे बढ़ते जाएं तो फिर प्रकृति से छेड़छाड़ और दोहन से दिल दहल जाएं तो जाने कैसे कैसे अभियान चलाए सेव टाइगर पानी बचाओ प्लास्टिक बंदी जल संचयन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ खाना झूठा मत छोड़ो बिजली बचाओ.. कहने को ये दो शब्द हैं मगर किसी भी बात से जुड़ जाते हैं और कविता बना देते हैं। #बारबार #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi