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दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, ज

दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही।
और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही।
पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहां सत्य की पहचान हो वह कभी अपवित्र नही हो सकता। 

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan  #mereprashnmerisoch दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही।
और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही।
पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहां सत्य की पहचान हो वह कभी अपवित्र नही हो सकता। 

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही।
और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही।
पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहां सत्य की पहचान हो वह कभी अपवित्र नही हो सकता। 

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

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और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही।
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©आयुष पंचोली 
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दुनिया मे मृत्यू ही एक मात्र पवित्र संस्कार हैं, जो किसी मे भेद नही करती। जात, पात, रंग-भेद, ऊंच, नीच, साधु, राक्षस किसी मे भी नही। और एक विचित्र बात देखो शम्शान को दुनिया अपवित्र मानती हैं, मगर मृत्यू के शम्शान की कोई भौ क्रिया बिना स्नान और नये वस्त्रो के बिना सम्पन्न नही होती। बाकी कही भी स्नान और वस्त्रो का महत्व तक नही। पता नही क्यो, मगर मेरी नजर मे तो दुनिया मे सबसे पवित्र संस्कार मृत्यू और पवित्र स्थान श्मशान ही हैं। क्योकी वह स्थान जहां सारे बंधन छूट जाये, जो ज्ञान और वैराग्य जगाये , जहां सत्य की पहचान हो वह कभी अपवित्र नही हो सकता। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch