New Year 2025 हवा हो गई है, फिर भी भली है, सांसों को उसकी जुर्रत रही है, अब भी है, उसकी फितरत यही है, चिपक के उमर से वापस वही है, उमर को बढ़ाये, आगे जो आया, आगे जो आए,साल न हो जाया। गया भी जिया है, कि जीना नया है। साल नया,साल गया। ©BANDHETIYA OFFICIAL #Newyear2025 #नया साल, गया साल