*कैसे लड़ोगे तुम कुफ्र की आंधियो से,* *जब तुम अपना ईमान गवां बैठे* *जो सर मिलते थे कभी सजदों में,* *उन्हें सूद, ब्याज और ज़िना कारी में झुका बैठे* *जिन हाथो से लडा जाता था ज़िहाद इंसाफ का,* *उन्हें शराब और नाइंसाफी में लगा बैठे।।* *रोती थी जो आँखे कभी खौफ ए ख़ुदा में,* *उन्हें गानों और रंगीन फिल्मों में उलझा बैठे।।* *जिस मुसलमाँ की मोहब्बत थी कभी मस्जिद ए अक़्सा से* *दिखावे के इस जहां में वही इसे भुला बैठे।।* *जकात देने में जिस तरह का जोश उम्मते रसूल में था,* *इसे हम खर्च के बहानो में भुला बैठे।।* *ये तो एक मस्जीद ऐ बाबर थी,* *तुम तो उसे भी गवां बैठे।।* *रही मुक्तसर सी बात* *बन जा तू मुस्लिम खास,* *कर भरोसा अपने रब पर* *तू हैं कमज़ोर लेकिन वो नही,* *जिसने रेगिस्तान में भी आबे ज़मज़म निकाला,* *जिसने इब्राहिम को आतिस ऐ नमरूद से बचाया* *जिसने बचाया फिरौन से उम्मते मूसा को* *जिसने ज़िंदा रखा मछली के पेट में यूनुस को* *जिसने जिताया मुस्लिमो को मैदान ए बद्र में* *हा वही रब अब भी है* *उसकी हुकूमत अब भी है* *बदल देगा वो हुकूमत चंद लम्हो में* *गर तू कामिल मोमिन अब भी है* #insha_allah tru #islamic #nojotourdu #Nojoto #farhan_1998 #clouds