राह में कांटे बहुत हैं ऐसा भ्रम था मुझमें। जब तक आगे बढ़ने का हौंसला कम था मुझमें। गिर कर उठना इतना भी मुश्किल नहीं ये मालूम हुआ, बेफ़िजूल की बातों का रंजो-ग़म था मुझमें। ©Jupiter and it's moon....(प्रतिमा तिवारी) #नज़रिया