हमने चाहा मगर का ना पाए प्यार की दास्तान उनके आगे हमने चाहा जब निगाह मिली शर्म आई खुला ना पाई जुबान उनके आगे, एक उलझी हुई तमन्ना दिल में कुछ करवटें ले रही हैं उनकी बाहों का ले ले सहारा इतनी हिम्मत कहां उनके आगे हमने चाहा मगर का ना पाए प्यार की दास्तान उनके आगे मेरे खुद के द्वारा लिखी एक शायरी ©Bharat Mewar GOOD AFTERNOON