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मुह मत छिपा अपने पल्लू से हसीं, हम तुझे खुद महफ़िल

मुह मत छिपा अपने पल्लू से हसीं, हम तुझे खुद महफ़िल में नही पहचानेंगे ,आज तक तूने न जाना हमे ,आज हम तुझे न जानेंगे।अपनी नजर से  नजरभरकर न देखे मेरी आँखों को, इनके अश्क़ तेरे झूठे अय्य्यिने  कहा पहचानेंगे ।आज भी जिंदा है मेरे चेहरे  की हसि ,तेरे वादे आज भी मुझें न पहचानेंगे।
#मृदुल
मुह मत छिपा अपने पल्लू से हसीं, हम तुझे खुद महफ़िल में नही पहचानेंगे ,आज तक तूने न जाना हमे ,आज हम तुझे न जानेंगे।अपनी नजर से  नजरभरकर न देखे मेरी आँखों को, इनके अश्क़ तेरे झूठे अय्य्यिने  कहा पहचानेंगे ।आज भी जिंदा है मेरे चेहरे  की हसि ,तेरे वादे आज भी मुझें न पहचानेंगे।
#मृदुल