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सोचा आज लिखूं मैं भी कुछ अपने भारत देश की शान में,

सोचा आज लिखूं मैं भी कुछ अपने भारत देश की शान में,मगर जो शब्दों में हो बया इतनी,तो इस देश के वीरु की छोटी तो मान नहीं है,ना जाने क्या क्या अर्पण करने उसने,इस धरती मां की रक्षा की खातिर अपना सब कुछ लुटाया है,धन्य हैं भारत की धरा जिसमें एक नहीं,लाखों योध्यो ने जन्म पाया है,धन्य है वो मां बहन पत्नी,जिसने देश की रक्षा की खातिर,अपनी खुशियों तक को भी ठुकराया है,धन्य हुई ये धरती मां भी फिर एक बार,क्यूंकि बेटे ने देखो ना फिर,मां की रक्षा का कर्त्तव्य निभाया है।। धन्य है ये धरती मां जिसकी धरा पर शेरों ने जन्म पाया है।।
सोचा आज लिखूं मैं भी कुछ अपने भारत देश की शान में,मगर जो शब्दों में हो बया इतनी,तो इस देश के वीरु की छोटी तो मान नहीं है,ना जाने क्या क्या अर्पण करने उसने,इस धरती मां की रक्षा की खातिर अपना सब कुछ लुटाया है,धन्य हैं भारत की धरा जिसमें एक नहीं,लाखों योध्यो ने जन्म पाया है,धन्य है वो मां बहन पत्नी,जिसने देश की रक्षा की खातिर,अपनी खुशियों तक को भी ठुकराया है,धन्य हुई ये धरती मां भी फिर एक बार,क्यूंकि बेटे ने देखो ना फिर,मां की रक्षा का कर्त्तव्य निभाया है।। धन्य है ये धरती मां जिसकी धरा पर शेरों ने जन्म पाया है।।

धन्य है ये धरती मां जिसकी धरा पर शेरों ने जन्म पाया है।।