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My dear panditayin मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा

My dear panditayin
मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो..
तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए
वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम्हें लिख दे..
फिर जब विधि का विधान लिखा जाए तो उस हिस्से में सदैव तुम ही रहो.. 
मैं चाहता हूँ की जब मेरी मृत्यु का फ़रमान लिखा जाए तो
..गरुड़ पुराण की जगह तुम्हारे वो शब्द सुनाए जाएँ जो तुमने मुझे कहे हैं.. 
साथ ही तुम्हारे काँधे पर टिकाए हुए उन क्षणों को फिर से पिरोया जाए..
रुदन ना हो.. 
हँस के विदा किया जाए..
लोहबन ना जलाया जाए.. उन चिट्ठियों को जो तुमने मुझे लिखी थीं.. बस उन्हें मेरे साथ ही जला दिया जाए..मैं चाहता हूँ की जब भी मेरा ज़िक्र आए तो..
उससे पहले तुम्हारा ज़िक्र किया जाए
नाम तो नहीं दे सका किंतु, तुम्हें अनाम भी ना रहने दिया जाए..
सवाल ना हों कोई भी बस.. 
तुम्हें मेरे साथ ही जोड़ दिया जाए..लांछन ना लगाया जाए कुछ भी, तुम्हारा मस्तक ऊँचा रहे और तुम्हें मेरा व सदैव मुझे तुम्हारा होना ही लिखा जाए.. 
वक़्त की ड्योढ़ी पर तुम्हें अभिमान के साथ ही समझा जाए.. 
तुम मर्यादा हो.. तुम्हें सदैव मर्यादा ही लिखा जाए... 
तुम शुभ हो तुम प्रेम हो, अनंत प्रेम है तुमसे लड़की..

©Ankur Mishra #My #dear #panditayin
मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो..
तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए
वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम्हें लिख दे..
फिर जब विधि का विधान लिखा जाए तो उस हिस्से में सदैव तुम ही रहो.. 
मैं चाहता हूँ की जब मेरी मृत्यु का फ़रमान लिखा जाए तो..गरुड़ पुराण की जगह तुम्हारे वो शब्द सुनाए जाएँ जो तुमने मुझे कहे हैं.. 
साथ ही तुम्हारे काँधे पर टिकाए हुए उन क्षणों को फिर से पिरोया जाए..
रुदन ना हो..
My dear panditayin
मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो..
तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए
वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम्हें लिख दे..
फिर जब विधि का विधान लिखा जाए तो उस हिस्से में सदैव तुम ही रहो.. 
मैं चाहता हूँ की जब मेरी मृत्यु का फ़रमान लिखा जाए तो
..गरुड़ पुराण की जगह तुम्हारे वो शब्द सुनाए जाएँ जो तुमने मुझे कहे हैं.. 
साथ ही तुम्हारे काँधे पर टिकाए हुए उन क्षणों को फिर से पिरोया जाए..
रुदन ना हो.. 
हँस के विदा किया जाए..
लोहबन ना जलाया जाए.. उन चिट्ठियों को जो तुमने मुझे लिखी थीं.. बस उन्हें मेरे साथ ही जला दिया जाए..मैं चाहता हूँ की जब भी मेरा ज़िक्र आए तो..
उससे पहले तुम्हारा ज़िक्र किया जाए
नाम तो नहीं दे सका किंतु, तुम्हें अनाम भी ना रहने दिया जाए..
सवाल ना हों कोई भी बस.. 
तुम्हें मेरे साथ ही जोड़ दिया जाए..लांछन ना लगाया जाए कुछ भी, तुम्हारा मस्तक ऊँचा रहे और तुम्हें मेरा व सदैव मुझे तुम्हारा होना ही लिखा जाए.. 
वक़्त की ड्योढ़ी पर तुम्हें अभिमान के साथ ही समझा जाए.. 
तुम मर्यादा हो.. तुम्हें सदैव मर्यादा ही लिखा जाए... 
तुम शुभ हो तुम प्रेम हो, अनंत प्रेम है तुमसे लड़की..

©Ankur Mishra #My #dear #panditayin
मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो..
तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए
वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम्हें लिख दे..
फिर जब विधि का विधान लिखा जाए तो उस हिस्से में सदैव तुम ही रहो.. 
मैं चाहता हूँ की जब मेरी मृत्यु का फ़रमान लिखा जाए तो..गरुड़ पुराण की जगह तुम्हारे वो शब्द सुनाए जाएँ जो तुमने मुझे कहे हैं.. 
साथ ही तुम्हारे काँधे पर टिकाए हुए उन क्षणों को फिर से पिरोया जाए..
रुदन ना हो..