अब क्या लिखे हल-ऐ-दिल अपना . ... यूं समझीये जुदा हो गया कोई अपना . ... अब नींद भी आती नही रातभर हमको. ... जबसे ग़ैर कह गया हमको कोई अपना . ... शायद बात करना भी गवारा नही उसको. ... इस हद तक रूठ गया हमसे कोई अपना. ... अब हर दुआ में यही फ़रयाद याद करते है. ... खोया हुवा मिल जाये हमको कोई अपना. ... सितम की हद तक जा चुके हो तुम रिहान. ... आखिर कितना दर्द साहेगा कोई अपना . ...#R_7