मोती बिखर गए जीवन में आधुनिकता के, ख़्वाहिशें टहनियों से पत्ते सी टूट गईं सब। तमाम सुविधाओं को जोड़कर इतराया हूँ! ज़िद और जुनून में मौलिकता खो गई अब। कलश अमृत का छीनकर ले गए दानव! देवताओं के हिस्से में हलाहल बाकी है। 🎀 Challenge-261 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।