यू मेरी सांसों में मेरी रुह में तू बसी हुई है। अब तो सांस लेने की फुर्सत नहीं मुझको ,अजी यू इस तरह से मेरी बांहों में तू कसी हुई है। मैं तड़प रहा था इन सुलगती हुई फिज़ाओं मैं। ख़लिश मिटी जब ऐसे जो आई तू मेरी बांहों में।। यू तेरे तन में मैं ,मेरे तन में तू रची हुई है यू मेरी सांसों में मेरी रुह में तू बसी हुई है। अब तो सांस लेने की फुर्सत नहीं मुझको,अजी यू इस तरह से मेरी बांहों में तू कसी हुई है। ©Gauhar Ayub Etawi तू सांसों में बसी है। #intimacy