कभी हमने खाना बनाया नहीं है। जलाया परांठा पकाया नहीं है। करी हमने कोशिश बने गोल रोटी हुनर पर किसी ने सिखाया नहीं है। करूं क्या मैं चकले का आंगन था टेढ़ा परांठा जो नाचा गोल आया नहीं है। करेले बनाए भरी खूब शक्कर चखे जिसने दोबारा खाया नहीं है। न बनती है खिचड़ी न आलू उबलते पकाती सभी को जताया नहीं है। कचौड़ी थी बैंगन की कटहल का हलवा नमक-मिर्च भूली बताया नहीं है। कभी ग़म गुसारों ने मांगा जो पानी बिना रम के हमने पिलाया नहीं है। मुहब्बत से 'मीरा' ने खाना परोसा मैं हैरां हूं मेहमां को भाया नहीं है। #कभी हमने खाना बनाया नहीं है 😂