भारत कभी थी खुशबू इंसानियत की मेरे कोने कोने में अनन्त काल की खुशी अब बदल गई है रोने में कभी चिड़िया सोने की था अब उनपढा खत हुँ सुन लो मेरी आवाज मैं रोता हुआ भारत हुँ कभी राम का पुष्पक तो कभी अर्जुन का रथ हु कभी रावण का दुशहास तोह कभी दुर्योधन की हट हुँ सुन लो मेरी आवाज मै रोता हुआ भारत हुँ कभी बाबरी तोह कभी दंगो में पड़ी नफरत हुँ पहचान लो मुझें मै भारत हुँ पापी शकुनि को हाथ मलते देखा है गुजरात हरयाणा मुंबई को जलते देखा है देखी है अपने बंटवारे की झांकी जब महजब ने इंसानियत की रेखा लांगी जब मौत के आगोश में सो गए थे गांधी मन उदास हो गया जब देखी भगत सिंह की फ़ांसी ना पाक ताक़तों को बढ़ते देखा सरदारों की पगड़ियों को उतरते देखा पहले था चिड़िया सोने की अब बन्जर ख़त हुँ सुन लो मेरी आवाज मैं भारत हुँ रवि लाम्बा ©dr_ravilamaba ©Dr Ravi Lamba #Poetry #hindi_poetry #veerras #jaunelia #sunrays