थक चुका हूं मैं इस सूट बूट की नौकरी से पर फिर भी घूंट घूंट कर जी रहा हूं आपनो के वस्ते मतलबी हो गए हैं दोस्त सारे मुंह फेर लेते हैं डरते हैं कुछ मांगना ले आंख मिलते ही बदल देते हैं रास्ते। समझ नहीं आता ये मेरी फूटी किस्मत है या वक्त का मार और कितना सहना पड़ेगा अपनों की बेवफाई और उनका दुर्व्यवहार जीवन मानो किताबों के पन्नों में सिमट गया हो घर से काम तक काम से घर तक मानो जैसे दो हिस्सों में ही बट गया हो। ,,,,,,,,,,,,,,✒️ राहुल पासवान ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, #LifeStory #DardMereDilKa