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बज्मे यारा की याद भर से अंख छलक आई कहां है चाय वो

बज्मे यारा की याद भर से अंख छलक आई
कहां है चाय वो लड़कर जो पिया करते थे

हम तरक्की के नाम पर कहाँ पर आ पहुंचे
कहां हैं यार जिनके दम से जिया करते थे

आज जो दिल पे डाल लेते हैं हम गम सारे
जिनको कल यार सभी बांट लिया करते थे

बहुत आते हैं मुझे याद वो जिगरे यारे
जो बिन कहे ही सब कुछ भाप लिया करते थे

भले ही घर से वो लाते थे एक ही रोटी
मगर खुश होके सब में बांट लिया करते थे

अब हम रोएंगे अगर कौन पूछेगा क्या हुआ
कल तक तो यार सब कुछ जान  लिया करते थे

आज हर कोई रुलाता है हमें दुख देकर
कल तक हम दर्द में भी मूस्कुराया  करते थे

मेरे मौला उन्हें हर आन सलामत रखना
मियां जो यार मेरी ढाल बना करते थे

#ΔհΜεD_ɌαZα_ΘυʀΞៜΗι #बज्मे_यारा
#मियां Er. Ambesh Kumar ishi  Mo.Sarfraz  shahanaz kha Sahil Noori
बज्मे यारा की याद भर से अंख छलक आई
कहां है चाय वो लड़कर जो पिया करते थे

हम तरक्की के नाम पर कहाँ पर आ पहुंचे
कहां हैं यार जिनके दम से जिया करते थे

आज जो दिल पे डाल लेते हैं हम गम सारे
जिनको कल यार सभी बांट लिया करते थे

बहुत आते हैं मुझे याद वो जिगरे यारे
जो बिन कहे ही सब कुछ भाप लिया करते थे

भले ही घर से वो लाते थे एक ही रोटी
मगर खुश होके सब में बांट लिया करते थे

अब हम रोएंगे अगर कौन पूछेगा क्या हुआ
कल तक तो यार सब कुछ जान  लिया करते थे

आज हर कोई रुलाता है हमें दुख देकर
कल तक हम दर्द में भी मूस्कुराया  करते थे

मेरे मौला उन्हें हर आन सलामत रखना
मियां जो यार मेरी ढाल बना करते थे

#ΔհΜεD_ɌαZα_ΘυʀΞៜΗι #बज्मे_यारा
#मियां Er. Ambesh Kumar ishi  Mo.Sarfraz  shahanaz kha Sahil Noori

#बज्मे_यारा #मियां Er. Ambesh Kumar ishi Mo.Sarfraz shahanaz kha Sahil Noori #poem #ΔհΜεD_ɌαZα_ΘυʀΞៜΗι