भले ही अपनी राह मैं तेरी राह से मोड़ आया था... लेकिन अपना दिल मैं तेरे पास ही छोड़ आया था... बहुत उदास हुआ जब मुझ-सा कोई सानी* ना मिला... एक आईना ही था, वो भी उन ही राहों पर तोड़ आया था... तुझे नजरअंदाज करने के बाद लग रहा था ऐसा... जैसे मैं अपनी ही गर्दन मरोड़ आया था... फूलों का गुलसितां थी वो हज़ार रंग-ओ-बू लिए... ना चाहते हुए भी उसको मैं छोड़ आया था... बहुत रोया था उस से जुदा हो के ये दिल-ए-सामर्थ... अपने ही हाथों अपना ही दिल तोड़ आया था। *सानी = Match/equivalent #second_quote #ghazal #yourquote #yqpoetry #sad #samarthya_writes #yqbaba #yqdidi