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पल्लव की डायरी हदे मिटी आज मर्यादा की लोकतंत्र सिस

पल्लव की डायरी
हदे मिटी आज मर्यादा की
लोकतंत्र सिसकता है
त्वरित सवाल आज खड़े हुये है
सत्तापक्ष मनमानी करता है
जनप्रतिनिधियों का निलंबन
हिटलर शाही का स्वरूप दिखता है
संसद जब सवालो का जबाव ना दे पाये
औचित्य चुनावो और प्रतिनिधि 
चुनने का मतलब किया होता है
कौनसी मर्यादा तार तार हुयी महाशय की
जब बिधूड़ी ने अपमान किया
 तब चेतना कहा सोयी थी
अपनी परिभाषा खुद गढ़ो 
अपने को राष्ट्र देश से ऊपर रखकर
हमेशा चीरहरण नैतिकता  का करते है
संसद पर हमले के मायने
हवा हवाई करते है
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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