इक काशिस मेरे शब्दों में छुपकर रह गई मेरे महोब्बत के नाम में दर्द बनकर रह गई सोचना समझना आता नही तेरी कमी में फिर जाने क्यों ये कशिश मुझमें छुपकर तू बनकर रह गई ©B.R Sawan तू बसकर मुझमें रह गई