दिल्ली दूर नही थी लेकिन, उतना भी चल पाते कैसे लड़की जिस पर गीत कहे थे, मिलने उनसे जाते कैसे सूरज से कुछ दीप लिए थे, रातों पर था चांद उधारी मेरी बाते बस बाते थी, जितनी थीं सब मन में मारी सूरज चांद मिला देते पर, धरती को समझाते कैसे दिल्ली दूर नही थी लेकिन, उतना भी चल पाते कैसे लड़की जिस पर गीत कहे थे, मिलने उनसे जाते कैसे ||1|| पूनम को चाहा हमने पर, आई रात अमावस वाली उजियारे हम ढूंढ रहे पर, गलियां भी है काली काली दीपक से क्या उम्मीदें रखते, बाती को सुलगाते कैसे दिल्ली दूर नहीं थी लेकिन, उतना भी चल पाते कैसे लड़की जिस पर गीत कहे थे, मिलने उनसे जाते कैसे ||2|| ¢ डा• रामवीर गंगवार . ©Ramveer Gangwar #dilliwaliladki #ramveergangwar #ramveersinghgangwar #holdmyhand