मिले तो उज्लत में मिले, तमाम इंतजार के बाद, हम खो गए थे कहीं और, फकत दीदार के बाद। मुस्तकिल देखता रहा,उनके लरजते ओंठों को, बातें कुछ भी तो न हो पाईं, दो चार के बाद। तो झिझक गए वो पंक्षी फिर नई उड़ानों से, किसी अनजाने से तूफान के, आसार के बाद। कश्मकश समेटकर चलते रहे, अपने रस्ते पर कि दफ्तर खुल गया हो जैसे, इतवार के बाद। ©Vishal Kashyap #vishal_kashyap #unnao #kavita #Hindi #urdu #Goodevening