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फिर बीतेगा सावन तन्हा, फिर रोएगा बादल भी फिर कलाई

फिर बीतेगा सावन तन्हा, फिर रोएगा बादल भी
फिर कलाई उदास रहेगी, फिर तड़पेगा पायल भी
फिर से आंखें राह तकेगी, बह जाएगा काजल भी
फिर से तन्हा दिल पूछेगा, क्या आएगा साजन भी

महफ़िल महफ़िल फिर गाएगा होकर ये दीवाना दिल
शब्दों में ढल जाएगा फिर एहसासों की अंगड़ाई भी
तुफानों में किसी दीपक सा तड़प उठेगी आह मेरी
फिर चुभेगी कानों को वो अपनी अज़ीज़ शहनाई भी

ख्वाहिश अधूरी रह जाएगी फिर कंगन की खनक की
अधूरा रह जाएगा खाब मेंहदी वाले हाथों का चूमने का भी
फिर अधूरी रह जाएगी बरसते सावन में प्यास होंठों की
अधूरा रह जाएगा फिर खाब हाथों में हाथ ले घूमने का भी

बहुत सताती है तन्हाई आएगा कब दौर मिलन का
इंतज़ार कर रही मेरे संग तकिया, बिस्तर और ये घर भी
आंगन, देहरी, कमरा, चौखट सबकी नजरें राहों में है
बीत जाएगी यूं ही यादों में क्या सावन की तरह उम्र भी #sawan #love #lovepoetry
#intzaar
फिर बीतेगा सावन तन्हा, फिर रोएगा बादल भी
फिर कलाई उदास रहेगी, फिर तड़पेगा पायल भी
फिर से आंखें राह तकेगी, बह जाएगा काजल भी
फिर से तन्हा दिल पूछेगा, क्या आएगा साजन भी

महफ़िल महफ़िल फिर गाएगा होकर ये दीवाना दिल
शब्दों में ढल जाएगा फिर एहसासों की अंगड़ाई भी
तुफानों में किसी दीपक सा तड़प उठेगी आह मेरी
फिर चुभेगी कानों को वो अपनी अज़ीज़ शहनाई भी

ख्वाहिश अधूरी रह जाएगी फिर कंगन की खनक की
अधूरा रह जाएगा खाब मेंहदी वाले हाथों का चूमने का भी
फिर अधूरी रह जाएगी बरसते सावन में प्यास होंठों की
अधूरा रह जाएगा फिर खाब हाथों में हाथ ले घूमने का भी

बहुत सताती है तन्हाई आएगा कब दौर मिलन का
इंतज़ार कर रही मेरे संग तकिया, बिस्तर और ये घर भी
आंगन, देहरी, कमरा, चौखट सबकी नजरें राहों में है
बीत जाएगी यूं ही यादों में क्या सावन की तरह उम्र भी #sawan #love #lovepoetry
#intzaar