मौत भी आसान नहीं बचपन के उजाले गलियारों से कब अंधेरी गलियों में आ गई मालूम ही नहीं चला, सब तोड़ते गए, मैं टूटती गई हांथ थामा जिसका भी, बीच मझधार छोड़ते चले गए जाने कौनसा गुनाह था मेरा, जो सज़ा पे सज़ा मिलती गई कोई कर्म पिछले जन्म का रहा होगा, कोई कर्ज चुकाना बाकी रहा होगा डूबती गई गहरे आश्कों के दरिया में हौसला बिखरता गया आईने सा होश संभाला को अंधेरे कुएं में पाया गहरा, अंधेरा, घुटन, न कोई रोशनी पार आऊं तो कैसे ये समझ नहीं आया तैरना तो आता नहीं मुझे, बस एक साख से लिपटी हूं वो भी कब साथ छोड़ दे ख़बर नहीं बोझ मेरा बढ़ता जा रहा, वक्त शायद अब नज़दीक आ रहा जिस्म से रूह साथ छोड़ती नहीं दर्द बढ़ता ही जा रहा कब तक उम्मीद करूं किसी के बचा लेने का मुझे मेरी चीख भी तो कोई सुन पाता नहीं उम्मीद टूट रही, चंद सांसें अब बाकी है मौत भी कमबख्त आसानी से आती नही ये भी इस जिंदगी से कुछ कम तो नही @deepalidp ©Deepali dp #deepalidp #mojzamiracle #rahaterooh #hindishayari #jashnerekhta #DeathIsReality #difficultdeath