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कोरोना का डर बड़ा है या भूख की आग!! मज़दूरों के सा

कोरोना का डर बड़ा है या भूख की आग!! मज़दूरों के साथ हो रहे रोज़ के हादसों से मन एकदम उदास हो जाता है...
क्या वो इंसान नहीं हैं या उनका जीवन इतना सस्ता है कि कोई सरकार उनकी सुध ही ना ले...
वो इस अर्थव्यवस्था की धुरी में शामिल है और आज आपत्ति आयी तो उसे ही बेघर कर दिया...
वाह रे समाज और वाह री सरकारें...
जितना रेला चला आ रहा है हाइवे पे क्या जिस राज्य की सीमा में ये मज़दूर हैं वो राज्य इनके लिये तत्काल प्रभाव से बस की या अन्य किसी साधन की व्यवस्था नहीं करा सकता है???

बस सबको ये जताना और बताना है कि हम मज़दूरों के साथ हैं लेकिन हाथ थामके उन्हें उनके घर पहुँचानें वाला कोई नहीं है!!
कोरोना का डर बड़ा है या भूख की आग!! मज़दूरों के साथ हो रहे रोज़ के हादसों से मन एकदम उदास हो जाता है...
क्या वो इंसान नहीं हैं या उनका जीवन इतना सस्ता है कि कोई सरकार उनकी सुध ही ना ले...
वो इस अर्थव्यवस्था की धुरी में शामिल है और आज आपत्ति आयी तो उसे ही बेघर कर दिया...
वाह रे समाज और वाह री सरकारें...
जितना रेला चला आ रहा है हाइवे पे क्या जिस राज्य की सीमा में ये मज़दूर हैं वो राज्य इनके लिये तत्काल प्रभाव से बस की या अन्य किसी साधन की व्यवस्था नहीं करा सकता है???

बस सबको ये जताना और बताना है कि हम मज़दूरों के साथ हैं लेकिन हाथ थामके उन्हें उनके घर पहुँचानें वाला कोई नहीं है!!