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हाँ... सारी गलती मेरी है मैं लड़की जो हूँ बचपन की

हाँ... सारी गलती मेरी है  मैं लड़की जो हूँ बचपन की मासूमियत दुनियादारी कहाँ जानती है शायद यही कारण था कि छाया को समझ ही नही आया की उसकी दादी उससे क्यों नफरत करती है हर बात में उसके साथ भेदभाव होता और जब उसके मन में ये सवाल आता की आखिर ऐसा क्यों होता है तो माँ प्यार से एक ही जवाब देती क्योंकि तुम लड़की हो और धीरे हर व्यक्ति द्वारा यही ज्ञान दिया जाने लगा औकात मैं रहा करो लड़की हो लड़की ,ज्यादा पर मत फैलाओ ,यहाँ मत जाओ वहाँ मत जाओ ,ये मत करो,किसी से बात मत करो ,ज्यादा पढ़ लिख कर क्या करोगी ,जमीन पर ही रहो और ना जाने क्या क्या इतनी सहूलियत ही काफी ना थी हर बात को ध्यान में रख छाया आगे बढ़ना चाहती थी कुछ करना चाहती थी वो ये भी  अच्छे से समझ गयी थी की अगर पढ़ना है तो कुछ ऐसा नही करना है जिससे उसकी पढ़ाई बंद हो सबका ख्याल भी रखती पर समाज को कौन समझाए 
लड़की का जरा सा कद बड़ा ना की शादी लायक हो गयी ।छाया के लाख मना करने के बाबजूद भी मात्र 18 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी गयी जहाँ पूरे घर का काम सास ननद ,देवरानी-जेठानी के ताने और पति का रुखा व्यबहार उसके सारे सपने उसके सामने ही धीरे -धीरे टूट रहे थे मायके वालों ने साफ़ कह दिया अब वही तुम्हारी दुनिया है और ससुर जी ने उस चार दिवारी को ही उसकी दुनिया बता दिया आज भी छाया जब पति के व्यबहार से दुखी होती है और और सास ननद के ताने सुन कर थक जाती है तो फ़ूट फ़ूट कर रोती है  और फिर अपने काम में लग जाती उसकी सिसकियां दीवारों के शोर गुल में दब जाती है और जिंदगी वक्त के साथ चलती जाती है 
वो जीते जी आज तक एक लाश बनकर जी रही है कसूर इसमें दुनिया का नही है आखिर सारी गलती उसकी है  क्योंकि वो लड़की जो है और अच्छी लडकिया ऐसी ही तो होती है ना😥 must read guys n don't forget love ,comment and share 
#Woman#CTL#life#indiangirls#savegirlchild#thoughts#writersgoals#nojoto#womantights#wedding#inlows#society#rules#ruralareas#education#feelings
हाँ... सारी गलती मेरी है  मैं लड़की जो हूँ बचपन की मासूमियत दुनियादारी कहाँ जानती है शायद यही कारण था कि छाया को समझ ही नही आया की उसकी दादी उससे क्यों नफरत करती है हर बात में उसके साथ भेदभाव होता और जब उसके मन में ये सवाल आता की आखिर ऐसा क्यों होता है तो माँ प्यार से एक ही जवाब देती क्योंकि तुम लड़की हो और धीरे हर व्यक्ति द्वारा यही ज्ञान दिया जाने लगा औकात मैं रहा करो लड़की हो लड़की ,ज्यादा पर मत फैलाओ ,यहाँ मत जाओ वहाँ मत जाओ ,ये मत करो,किसी से बात मत करो ,ज्यादा पढ़ लिख कर क्या करोगी ,जमीन पर ही रहो और ना जाने क्या क्या इतनी सहूलियत ही काफी ना थी हर बात को ध्यान में रख छाया आगे बढ़ना चाहती थी कुछ करना चाहती थी वो ये भी  अच्छे से समझ गयी थी की अगर पढ़ना है तो कुछ ऐसा नही करना है जिससे उसकी पढ़ाई बंद हो सबका ख्याल भी रखती पर समाज को कौन समझाए 
लड़की का जरा सा कद बड़ा ना की शादी लायक हो गयी ।छाया के लाख मना करने के बाबजूद भी मात्र 18 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी गयी जहाँ पूरे घर का काम सास ननद ,देवरानी-जेठानी के ताने और पति का रुखा व्यबहार उसके सारे सपने उसके सामने ही धीरे -धीरे टूट रहे थे मायके वालों ने साफ़ कह दिया अब वही तुम्हारी दुनिया है और ससुर जी ने उस चार दिवारी को ही उसकी दुनिया बता दिया आज भी छाया जब पति के व्यबहार से दुखी होती है और और सास ननद के ताने सुन कर थक जाती है तो फ़ूट फ़ूट कर रोती है  और फिर अपने काम में लग जाती उसकी सिसकियां दीवारों के शोर गुल में दब जाती है और जिंदगी वक्त के साथ चलती जाती है 
वो जीते जी आज तक एक लाश बनकर जी रही है कसूर इसमें दुनिया का नही है आखिर सारी गलती उसकी है  क्योंकि वो लड़की जो है और अच्छी लडकिया ऐसी ही तो होती है ना😥 must read guys n don't forget love ,comment and share 
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