बैन विनीत श्रवण में सुन्दर, वाणी मधुर सितार के सप्तक, तुझको किसने रोका मनुवा, राग से राग जगादे... नई अलख जगादे....... मातु-पिता सा हृदय श्रेष्ठ रख, स्नेह में जगत भिगा दे, उघड़े जब भी कमल नयन ये, शून्य में अतिथि डुबा दे....... नई अलख जगादे....... दुनियां याद करे बस उसको, जिसने स्पर्श किया मन, पश्चाताप में झुलसें बैरी, ऐसी मरुत बहा दे..... नई अलख जगादे....... ©Tara Chandra Kandpal #व्यवहार