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हर इक अल्फ़ाज़ को में ,अपने अश्क़ों से लिखता हूं,

हर इक अल्फ़ाज़ को में ,अपने अश्क़ों से लिखता हूं,
हाँ मैं रोता बहुत हूँ यारों ,फिर भी तो खुश दिखता हूँ :
शायद उधारी में दोस्तीं और प्यार दिया था उसने मुझे ;
बस उसी को चुकाने के लिए, मैं रोज ही तो बिकता हूँ!!

DR mehta

             ....                        .... .,.,.heaRtbeat........ frndzone  डॉ.अजय मिश्र Subhadip  Paritosh Roy Dixit Ji love suman
हर इक अल्फ़ाज़ को में ,अपने अश्क़ों से लिखता हूं,
हाँ मैं रोता बहुत हूँ यारों ,फिर भी तो खुश दिखता हूँ :
शायद उधारी में दोस्तीं और प्यार दिया था उसने मुझे ;
बस उसी को चुकाने के लिए, मैं रोज ही तो बिकता हूँ!!

DR mehta

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