ठहराव शब्द की संज्ञान में डूबा जब असंख्य आवाज़ की धुंध में लिपटा मैं वो लह लह लो कपूर की रात्रि नहीं तलब और कोई अब बस विश्राम मिल जाएं कही भी ना जाने क्यूं पांव रुकें यूं कहें ठहर कुछ देर मिल सुकून से भी है तो पूरी जिंदगी चलना ही कुछ पल तो रुक मुझे भी दे जीवित प्रणय प्रसून मुस्कान ही ठहराव शब्द की संज्ञान में डूबा जब असंख्य आवाज़ की धुंध में लिपटा मैं । #मेरे_जज्बात008 #ठहराव #जरूरी_है #कामिल_कवि #yqdidi #yqbaba #kunu