मेरी चाहत ने उसे बदनाम किया, और उसे ऑक्सीज नाम दिया। इस गलती पे में पचताता हूं, और अब अपनी दिल की सुनाता हूं। मुझे पता है तू मुझसे करती प्यार नहीं, और करती भी इंकार नहीं। अगर नहीं भरोसा है मुझ पर तो, मेरी चाहत का ईनाम ना दे एक पल की खुशी तू दे ना सको तो, ठरकी मुझे नाम ना दे। मेरे बारे में तू सब कुछ जान गई, औरों से मुझे पहचान गई। में अपनी सफाई दे ना सका, अपनी चाहत के बारे में कुछ कह ना सका। में हार गया में टूट गया तेरी, खुशियों के खातिर में झुक गया। लेकिन फिर भी भरोसा तू मुझ पर कर ना सकी, मेरी चाहत के आंसू को पढ़ ना सकी। अब कैसे बताऊं में तुझको तेरे ना होने से, दिल में कसक सी उठती है। ये जिस्म भी है जान भी है, बस एक तेरी कमी ही खलती है। बस एक तेरी कमी ही खलती है।। Written By Tharki Manikant Chhora