निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, यह कहानी है कुछ पुरानी है कुछ अनकही सी कुछ अनजानी सी ना नाता था उनसे मेरा कोई ना ही था कोई वास्ता ही बस बातें हुआ करती थी जो ना तो सोची थी और ना तो बतानी थी कुछ समय साथ बीता तो कुछ साथ बिताया था कुछ उन्होंने अपने आप कहा तो कुछ हमने उनसे उगलवाया था फिर ना जाने कब वो एक आदत से जरूरत जरूरत से इनायत इनायत से इबादत मैं तब्दील हो गए और हम बस उनको काबू करते करते खुद बेकाबू हो गए... आज भी सोचती हूं ना इजहार था ना इनकार था पर और कोई भावना हो या ना हो पर आज पता है वो प्यार था...!! ©maher singaniya यह कहानी है कुछ पुरानी सी...