एक इंसान के हैं यहाँ चेहरे हजiर, घर भी बना दिया उसने बाजार; कोई मुस्कराहट नहीं है उसके चेहरे पर, बेच और खरीद बस उसे आती है नजर जिसकी चाहे उसकी हंसी भी दबा देता है वो, एक बार खुद के घंiटे से गुजरतI है जब वो ; कोई तो बताये की चेहरा दो में से एक ही रखा जाता है शमशान में या तो अच्छे या तू बुरे का चरचI होता है ||| ©Gyan Prakash Guru GYAN #worldlaughterday