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कह न सका अपना गम किसी को किसी ने होंठ मेरे सिल द

 कह न सका अपना गम किसी को 
किसी ने होंठ मेरे सिल दिए होंगे
मेरी खामोशी से इत्तेफ़ाक कौन रखता 
सारे परिंदे यहाँ से उड़ गए होंगे 
छुटकारा मिलता नहीं गमों से मुझे 
सारे गम मेरे पीछे पड़ गए होंगे 
जिसे समझता रहा मैं अपना 
वो गैरों मे कहीं बदल गए होंगे 
हर आहट पर अब भी समझता हूँ वो आया 
कान दिल ने दरवाजे पर रख दिए होंगे 
वही समझेगा मर्ज मेरा आखिर 
नब्ज पर हाथ जिसने रख दिए होंगे

©Ravikant Dushe
  #PhisaltaSamay  Geet Sangeet
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Ravikant Dushe

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