रोज इक नया इल्ज़ाम लगाता है वो, शायद इक नया मुकाम पाता है वो, ये मेरी ही कोई कमी है, जो कि हर रोज पुराने ज़ख्म जगाता है वो।। #जख्म #इल्ज़ाम #कमी #जगाता