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भ्रष्टाचार करता लाचार अच्छे की आस में फँसते ,भ्र

भ्रष्टाचार
करता लाचार 
अच्छे की आस में 
फँसते ,भ्रस्टाचार के पाश में 
गाड़ी आई ज़रूर 
बंगला बना भरपूर 
पर एक अन्चाहा भय 
हर पल ,हर समय 

मांस ,मदिरा ,जुआ सुरा 
इन बिन जीवन अधुरा 
निस्पाप मन 
पर व्याधिमय तन 
फिर भी  भ्रष्टाचार
करना ज़रा विचार

©Kamlesh Kandpal
  #bhratachar