अरसा बीत गया है सोचा; कुछ तुमको याद करा दूँ; बरसों से अनछुई रही किताब के; कुछ पन्ने पलटा दूँ; नवम्बर की वो गुनगुनी दोपहरी; मैं छाँव में बैठा; तुम धूप में ठहरी; बस, बरबस ही देखा था तुमको; साईकिल की टेक लगाए; हथेलियों की छाँव बनाए; तुम दूर खड़ी थी; पहली दफा, जब देखा था तुमको; ये वही घड़ी थी; कुछ मन ही मन सोचा था मैंने; वो याद है तुमको..... #पहली_दफा@LOVEGRAPHY-1