मुझे अपनी आंखों में समेट लो तुम, आंसू बहते वक़्त तेरे होंठों को चूमना है...! मयकदे में इतनी मयकशी कहा, जितना मुझे तेरा बन के झूमना है...! . . . . ✍️सन्तोष चौधरी "अनन्त"