(3/03) _*कुछ पल ज़हन से कहाँ कभी भी जातें हैं,,,*_ _*वो पल मुझे आज भी बहोत याद आते हैं...*_ *दोनो भाईयों ने बड़े होने का हुक्म कभी ना चलाया हैं,,,* *और छोटे होने का हमेशा मेने ही फ़ायदा उठाया हैं...* *हम नोटबूक-पेन के लिये लड़े हैं,तो कभी 'आलमारी' के लिये झगड़े भी हैं..* *इसी चक्कर मे माँ ने झाडू से पीटा हैं तो कभी पापा उनपर बिगड़े भी हैं..!* *एक के हिस्से घर की जिम्मेदारी आई हैं,,* *दूजे के बाहर पढ़ने जाने की बारी आई हैं..,* *पारिवारिक विरह के इस प्रथम प्रसंग में,,,* *दिल हुआ मायुस और आँखे सबकी भर आई हैं...!* *बचपना टुट सा गया, धीरे धीरे सब छुट सा गया,,,* *एक ने जीवन की परिभाषा बतलाई हैं, तो दूजे ने उसे जीने की कला सिखलाई हैं..!* _*कुछ पल ज़हन से कहाँ कभी भी जातें हैं,,,*_ _*वो पल मुझे आज भी बहोत याद आते हैं..!*_ _*कुछ दृश्य दिल में हमारे यूं छप से जाते हैं,,,*_ _*वो पल मुझे आज भी बहोत याद आते हैं...!*_ THE END #Childhood #Brothers