तेरे शहर का भी अजब ही दस्तूर है... गैरों की महफिलों में अपने ही दूर हैं! रकीबों की भीड़ लिए फिरते हो आजकल... ख़ैर...आप तो आदत से मजबूर हैं! #छोड़ो_भी