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शाम मैं एक शाम हूँ, निश्चल, स्थिर उदास सी, जहां की

शाम
मैं एक शाम हूँ,
निश्चल, स्थिर उदास सी,
जहां की सारी गंभीरता ओढ़े
निश्तेज,विकल सी

मैं एक शाम हूँ,
डूबे सूर्य की विदाई हुई,
अंधेरे की घनी परछाई हुई,
धीरे धीरे मैं आम हुई,
रात के दामन को थामे,
मैं एक शाम हूँ

मुझ से भाग यूँ,सब क्यों हो चले,
आओ मेरे पास आओ,
दिन के उजाले ढले,
पर यूँ शोक न मनाओ,
तुम्हारे स्वागत को आतुर
मैं एक शाम हूँ

मेरे आगोश में समाओ,
क्योंकि हर सुबह के बाद एक शाम है
हर उजाले के तले अंधकार है,
कुछ इसका आनंद उठाओ,
मैं निश्चल पड़ी एक शाम हूँ  #sham
शाम
मैं एक शाम हूँ,
निश्चल, स्थिर उदास सी,
जहां की सारी गंभीरता ओढ़े
निश्तेज,विकल सी

मैं एक शाम हूँ,
डूबे सूर्य की विदाई हुई,
अंधेरे की घनी परछाई हुई,
धीरे धीरे मैं आम हुई,
रात के दामन को थामे,
मैं एक शाम हूँ

मुझ से भाग यूँ,सब क्यों हो चले,
आओ मेरे पास आओ,
दिन के उजाले ढले,
पर यूँ शोक न मनाओ,
तुम्हारे स्वागत को आतुर
मैं एक शाम हूँ

मेरे आगोश में समाओ,
क्योंकि हर सुबह के बाद एक शाम है
हर उजाले के तले अंधकार है,
कुछ इसका आनंद उठाओ,
मैं निश्चल पड़ी एक शाम हूँ  #sham