~Anjali Rai "पिता जीवन की वो कड़कती "धूप" है; जिसके हिस्से में कभी कोई शीतल छांव नहीं आई ।।" "वो स्वयं तपकर हमें रौशन करता रहा ; ताकि हमें कभी कोई