कल शब एक ख़्वाब जो हसीं देखा ! के तुम-सा हसीं मैंने औऱ न देखा !! ज़ुल्फों ने जैसे रंग चुराये हो रात के ! औऱ शब-ए-महताब जमी पे देखा !! नज़र-ए-आइने में मुत्तसिल तुम ही थे ! के लबो पे अनकही तलब को देखा !! बरसो से प्यासे मिरे समंदर को जैसे ! ख़्वाहिशों से भरी बरसात ने देखा !! गोशा-ए-दिल की ज़हनी तस्वीर हो ! दो दिलों में एक धड़कन को देखा !! सबा में फैली ख़ुशबू हरसू एक तेरी ! तेरे जैसा असर-ए-इत्र और न देखा !! लफ़्ज़ों में आख़िर बयाँ हो भी कैसे ! यूँ तुम-सा हसीं मैंने औऱ ना देखा !! — Kumar✍️ ©Kumar #someonespecial #Nojoto #seasonoflove #Nojotoindia #nojotohindi #nojotourdu कुछ यूं ही महताब:-चाँद मुत्तसिल:-नजदीक,पास गोशा-ए-दिल:-दिल का कोना सबा:-सुबह/प्रातः काल की हवा ankit saraswat Darshan Raj indira Pushpvritiya Riya Soni