Unsplash कौन सा ग़म था जो ताज़ा न था इतना ग़म मिलेगा अंदाज़ा न था आपकी झील सी आंखों का क्या क़ुसूर डूबने वाले को ही गहराई का अंदाजा न था ©Deshraj Dhakad #traveling शायरी दर्द हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी'